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बहरों को सुनाने के लिए

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  • Pages:232 pages
  • Edition Year:2019
  • Publisher:Rahul Foundation
  • Language:Hindi
  • ISBN:‎9788190731003


Book Description

भगतसिंह और उनके साथियों के राजनीतिक जीवन और उनके दौर के बारे में और उनके संगठनों -हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.एस.आर.ए.) और नौजवान भारत सभा के बारे में यह एक पथ-प्रदर्शक कृति है। यह एक राष्ट्रीय नायक के रूप में समाजवाद की ओर उनके स्पष्ट झुकाव सहित भगतसिंह (Bhagat Singh) के विकास के अब तक उपेक्षित बहुत से पहलुओं को उजागर करती है। यह राष्ट्रवादी क्रान्तिकारियों और भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनकी भूमिका पर सर्वश्रेष्ठ कृतियों में से एक है। उनकी विचारधारा की मूल भावना को समझने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ और लेख परिशिष्ट के रूप में शामिल किये गये हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एण्ड डेवलपमेण्ट स्टडीज़ के एस. इरफान हबीब की यह किताब इतिहास की उन चुनिन्दा किताबों में से एक है जिन्हें गम्भीर अध्येता और आम पाठक दोनों ही दिलचस्पी के साथ पढ़ सकते हैं और दक्षिण एशिया के आधुनिक इतिहास का कोई भी विद्यार्थी इसकी अनदेखी नहीं कर सकता। सबसे बढ़कर, यह 1920 और 1930 के दशक की शुरुआत के उन उथल-पुथल भरे वर्षों की बेहद जीवन्त तस्वीर पेश करती है जब वाम-रैडिकल एजेण्डा इस महाद्वीप के राजनीतिक जीवन में बहुत अहम बनकर उभरा था।




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S. Irfan Habib

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