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शहीद सुखदेव : नौघरा से फाँसी तक

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  • Pages:78 pages
  • Edition Year:2017
  • Publisher:Rahul Foundation
  • Language:Hindi
  • ISBN:‎9788187728450


Book Description

यह तो माना जा सकता है कि दूर-दराज़ पहाड़ों में, जहाँ पर इन्सानी क़दम कम ही पहुँचे हों, किन्हीं अनजान लोगों द्वारा निर्मित अजन्ता-एलोरा की गुफ़ाएँ, इतिहास के पन्नों से गुम हो सकती हैं, और उन्हें फिर से ढूँढ़े जाने पर भारतवासी गर्व महसूस करें और भारतीय सरकारें उनको सँभालने की ज़िम्मेदारी अपने सिर पर लेकर ख़ुशी महसूस करें। पर बहुत परेशान करने वाली बात यह है कि भारत की आज़ादी के लिए क़ुर्बान हुए, भारतीय नायक भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के ऐतिहासिक स्थान ही लोगों से आधी सदी तक छुपे रहें – वह भी घनी अबादियों में, और ढूँढ़े जाने पर भी सत्ताधारी लोग साज़िश भरी चुप्पी साध लें। ऐसी ही दास्ताँ है, सुखदेव की जन्मस्थली मुहल्ला नौघरा, लुधियाना की। यह ऐतिहासिक स्थान 1998 तक भारतवासियों की नज़र से छुपा रहा। पंजाब के लुधियाना शहर के बीच, सुखदेव के छोटे भाई मथरादास थापर जीवन भर अपने भाई के बारे में लोगों और सरकारों बताते रहे, पर उनकी सारी कोशिशों का कोई असर न हुआ। उसके बाद देशभक्त इन्क़लाबी सोच को समर्पित लोग मिलकर हर साल सुखदेव का जन्मदिवस मनाने लगे। शहीद सुखदेव यादगारी कमेटी लुधियाना का गठन किया गया जिसका उद्देश्य जन्म-स्थली को सँभालना और शहीद सुखदेव के जीवन के बारे में लोगों के बीच प्रचार करना था। कमेटी की तरफ़ से मथरादास थापर द्वारा लिखी किताब पंजाबी में निकाली गयी। उसी जीवनी का यह हिन्दी अनुवाद आपके हाथों में है जिसे पंजाब के बाहर सारे देशवासियों तक पहुँचाने के लिए राहुल फ़ाउण्डेशन ने प्रकाशित किया है।




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Ed. Dr. Hardeep Singh

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