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दिमाग़ी ग़ुलामी

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  • Pages:64 pages
  • Edition Year:2021
  • Publisher:Rahul Foundation
  • Language:Hindi
  • ISBN:‎9788187728696


Book Description

महापण्डित महाविद्रोही राहुल सांकृत्यायन की परम्परा सतत प्रगति और प्रयोग, यथास्थिति-विरोध तथा सामाजिक-सांस्कृतिक क्रान्ति के अविरल प्रवाह एवं जनता से अटूट जुड़ाव की परम्परा है। निरन्तर गति और सतत प्रगति ही राहुल के जीवन का सारतत्व है। नकारात्मक परम्पराओं पर प्रचण्ड प्रहार और रूढ़िभंजन राहुल के चिन्तन का केन्द्रबिन्दु है। तर्क और विज्ञान में उनकी आस्था अटूट थी। हर तरह की शिथिलता, गतिरोध, कूपमण्डूकता, अन्धविश्वास, तर्कहीनता, यथास्थितिवाद, पुनरुत्थानवाद और अतीतोन्मुखता के वे कट्टर शत्रु थे। शब्द और कर्म-सिद्धान्त और व्यवहार की एकता की वे प्रतिमूर्ति थे। वे एक सच्चे और निर्भीक क्रान्तिकारी बुद्धिजीवी थे। ‘भागो नहीं दुनिया को बदलो’ — यह उनके जीवन का सूत्र वाक्य था। दार्शनिक, विचारक, इतिहासकार, पुरातत्त्ववेत्ता, साहित्यकार, भाषाशास्त्री और मार्क्सवाद का प्रचारक होने के साथ ही राहुल एक लोकप्रिय जननेता भी थे। स्वाधीनता आन्दोलन और बिहार के किसानों के आन्दोलन में उन्होंने प्रत्यक्ष नेतृत्वकारी भूमिका निभायी। ‘दिमागी गुलामी’ नाम की इस छोटी-सी पुस्तिका में राहुल ने अपनी मारक और विचारोत्तेजक शैली में देश के पिछड़े सामाजिक जीवन के कुछ पहलुओं पर विचार किया है। आज से ठीक पचास वर्ष पहले लिखी गयी यह पुस्तिका कई मायनों में आज भी प्रासंगिक है। इसका पुनर्प्रकाशन अतीत की स्मृतियों से प्रेरणा लेने और अपनी गौरवशाली परम्परा से जुड़कर उसकी अधूरी राह पर आगे बढ़ने के प्रयास में मदद करेगा, यह हमारा विश्वास है।




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Rahul Sankrityayan

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